हमें पता चला कि सद्गुरु बाबा भगवान श्री श्री आनन्दमूर्ति जी के प्रवचनों को छापने की ज़िम्मेवारी जिनकी थी, उन लोगों ने बाबा के प्रवचनों को ठीक से रूपान्तरण प्रकाशन नहीं किया। खासकर उन प्रवचनों के मामले में जो मूल रूप से हिन्दी और अंग्रेज़ी में दिए गए थे। इसके अलावा, हमें यह भी मालूम हुआ कि बाबा के प्रवचनों को हूबहू रूपान्तरित करके विशुद्ध पुस्तकों के रूप में प्रस्तुत करने और प्रकाशित करने के लिए एक आन्दोलन चल रहा है।
जैसा कि सर्वविदित है सद्गुरु बाबा की शिक्षाएँ मानवता के उत्थान की कुञ्जी है, उनके शाश्वत दिशानिर्देशों (आप्तवाक्यों) को सहेजना और संरक्षित करना महत्त्वपूर्ण है। हमने सोचा कि हम जो बेहतर मदद कर सकते हैं, वह है नई विशुद्ध पुस्तकों की जानकारी मार्गी भाई बहनों तक पहुँचाने के लिए एक वेबसाइट बनाना । ताकि बाबा प्रवचनों के ऑडियो के हूबहू रूपान्तरण से बने इन विशुद्ध पुस्तकों का (जो कि आप्तवाक्य हैं) इन प्रामाणिक संस्करणों का वितरण और बिक्री आसान हो सके।
We came to know that those responsible for printing Sadguru Baba Lord Shrii Shrii Anandamurti ji's discourses did not make them properly, especially in the case of those originally given in Hindi and English. Moreover, it was brought to our attention that a movement is underway to present and publish Baba's discourses in an accurate manner, as Baba spoke them, in the form of Pure books.
As Sadguru Baba's teachings are the key to uplifting humanity, it is important to save and preserve His eternal guidelines. We thought the way we could best help was to create a site to highlight the new Pure books, which are only pure apta vakya, and facilitate the distribution and sales of these newly released, authentic editions.
These books contain previously unpublished discourses given by Taraka Brahma Baba 50-60 years ago in Angika, Maithili, Bhojpuri, Magahi, Hindi, and English etc. They were not printed before in any form. Now read them for the first time. These unique discourses have been printed in the following books: Ananda Vacanamrtam (Pure) parts 35-50 and Subhasita Samgraha (Pure) parts 26-32.
The Pure editions of Ananda Vacanamrtam parts 1-2, part 24, and Subhasita Samgraha (Pure) part 13 are also available.